चिकनपॉक्स एक तरह के वायरस से होने वाली बीमारी है. इस वायरस का नाम वेरीसेल्ला जोस्टर हैं. आमतौर पर लोग इसे चेचक भी कहते हैं लेकिन भारत में खासकर लोग इसे माता निकलना कहते हैं. माता का दर्जा देने की वजह से कई लोग लोग इस बीमारी का इलाज तक नहीं करवाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इलाज करवाने से माता नाराज़ हो जाएँगी। शुरुआत में ये जब होता है तो इसका असर बहुत हल्का होता है लेकिन कई बार ये जानलेवा भी साबित हो सकता है. इस बीमारी में पुरे शरीर पर दरारे निकल जाते हैं और वो बहुत खुजली होते हैं. कभी कभी मरीज को तेज बुखार भी रहता है. ये एक ऐसी बीमरी है जो किसी भी उम्र के लोगो को हो सकती है लेकिन इसके 90% केसेस छोटे बच्चों में देखने को मिलते हैं. राहत की बात ये है कि एक बार जिंदगी में जिसे चिकनपॉक्स हो जाते हैं उसे दोबारा कभी नहीं होते हैं, क्योंकि जिस भी व्यक्ति को चिकनपॉक्स होता हैं उसका शरीर उस वायरस के प्रति सचेत हो जाता हैं और उसके लिए एंटीवायरस बना लेता हैं. 1990 से पहले चिकनपॉक्स के काफी मामले सामने आते थे लेकिन जब से वेरीसेल्ला वैक्सीन आयी हैं तब से इसके केसेस काफी हद तक काम हो गए हैं.
चिकनपॉक्स के लक्षण क्या हैं?
त्वचा पर छोटे लाल या गुलाबी दाने: चिकनपॉक्स के प्रमुख लक्षण में से एक हैं, इस बीमरी में शरीर पर छोटे लाल या गुलाबी दाने उभर जाते हैं. ये एक तरह से हवा से फैलने वाला रोग है इसलिए ये दाने पुरे शरीर पर उभर आते हैं. ये दाने आमतौर पर बहुत खुजली कराते हैं।
बुखार: चिकनपॉक्स के संक्रमित व्यक्ति को बुखार आना बहुत आरोगी आम हैं. ये बुखार आमतौर 102 डिग्री या उससे भी ज्यादा हो सकता है. अगर मरीज को चार दिन से ज्यादा समय से बुखार है तो उसे डॉक्टर के पास लेकर जाना अनिवार्य हैं.
खांसी और ठंडी: चिकनपॉक्स के मरीजों में खांसी और ठंडी की समस्या हो सकती है। ये लक्षण आमतौर पर निरंतर रहते हैं और ठंडी तब भी हो सकती है जब बुखार नहीं होता है।
असहनीय खुजली: चिकनपॉक्स के दानों के साथ-साथ त्वचा में असहनीय खुजली की समस्या हो सकती है। खुजली अक्सर रात को अधिक होती है और इससे राहत पाना मुश्किल हो सकता है।
पेट में आंतों में दर्द: कुछ मरीजों में चिकनपॉक्स के संक्रमण के दौरान पेट में आंतों में दर्द भी हो सकता है। यह दर्द आमतौर पर हल्का होता है, लेकिन कुछ क्षणों के लिए तेज हो सकता है।
शरीर में मांसपेशियों में दर्द: चिकनपॉक्स के मरीजों में शरीर के अलग-अलग हिस्सों में मांसपेशियों में दर्द की समस्या हो सकती है। यह दर्द आमतौर पर असहज होता है और बाद में कम हो जाता है।
थकान: चिकनपॉक्स के मरीजों में थकान की अनुभूति हो सकती है। मानसिक और शारीरिक थकान की स्थिति हो सकती है और व्यक्ति अक्सर आराम करने की इच्छा रखता है.
निमोनिया का खतरा: चिकनपॉक्स के कई केसेस में व्यक्ति को निमोनिया होने का खतरा भी बना रहता हैं. कभी कभी मरीज को सांस लेने में भी दिक्क़त हो सकती हैं.
चिकनपॉक्स कितने प्रकार के होते हैं?
चिकनपॉक्स वायरस के दो मुख्य प्रकार होते हैं:
चिकनपॉक्स: यह वायरस बीमारी का प्रमुख प्रकार है और छोटे बच्चों में आमतौर पर देखा जाता है। इसमें शरीर पर खुजली के छोटे दाने और तिल के आकार के लाल चकत्ते उत्पन्न होते हैं, जो बाद में प्राकृतिक रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। इसके साथ ही, रोगी को बुखार, थकान और मांसपेशियों में दर्द की समस्या हो सकती है।
हेरपीज जोस्टर : यह चिकनपॉक्स वायरस के द्वारा उत्पन्न होने वाला दूसरा प्रकार है। यह वायरस शरीर में सोते हुए होता है और बाद में जब व्यक्ति इन्फेक्टेड होता है, तो यह सक्रिय हो जाता है। हेरपीज जोस्टर के प्रमुख लक्षण में तेज दर्द, खुजली, ब्लिस्टर्स और त्वचा के रंग में परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। यह विषाणु एकमेक के प्रतिरोध में कमजोर होने के कारण प्रकृति में उत्पन्न हो सकता है।
चिकनपॉक्स का इलाज क्या हैं?
आराम और संक्रमण से बचाव: चिकनपॉक्स होने के दौरान मरीज को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए और दूसरे लोगो के संपर्क में आने से बचना चाहिए। रोगी को गर्म पानी से नहलाने की सलाह दी जाती है और उन्हें उपयुक्त तत्वों से दूर रखने की सलाह दी जाती है।
खुजली की उपचार: खुजली को कम करने के लिए, आप उपयुक्त एंटी-खुजली लोशन या क्रीम का उपयोग कर सकते हैं। यह आपको राहत देगा और त्वचा को सुखाने और खरोंचने से बचाएगा।
फीवर मैनेजमेंट: यदि मरीज को बुखार है तो उसे कम करने के लिए उसे दवाई दी जा सकती है.
हाइड्रेशन: अच्छे पानी के सेवन के माध्यम से उचित हाइड्रेशन की सुनिश्चित करें। यह रोगी को शरीर से विषाणुओं को बाहर निकालने और संक्रमण के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
एंटी वायरल: अगर मरीज की हालत ज्यादा खराब होती हैं तो डॉक्टर उसे एंटी वायरल मेडिसिन देता हैं. जिससे स्तिथि को काबू में किया जा सकता हैं.
ढीले कपडे पहने: चिकनपॉक्स के मरीज को ढीले और हलके कपडे पहनने चाहिए ताकि त्वचा साँस ले सके.
त्वचा को छूने से बचे: बार बार शरीर को छूने से बचें क्योंकि ऐसा करने से दाने और भी ज्यादा बढ़ सकते हैं.
टीकाकरण: चिकनपॉक्स से बचने के लिए अब टीकें भी आ चुके हैं, ये टिका बचपन में ही बच्चो को लगा दिया जाता हैं ताकि आगे चलकर बच्चे को चिकनपॉक्स न हो.
गर्भावस्था में चिकनपॉक्स होने से क्या जोखिम हो सकते हैं?
गर्भावस्था में चिकनपॉक्स होने की स्थिति को सीरियस तथा चिंताजनक माना जाता है। चिकनपॉक्स गर्भधारण के दौरान माँ और बच्चे दोनों के लिए जोखिम बढ़ा सकता है। इसके कारण, इस स्थिति में तुरंत मेडिकल सलाह लेना आवश्यक है। यहां कुछ प्रमुख पहलू हैं जो आपको समझने में मदद करेंगे:
बच्चे को संक्रमित होने की संभावना: यदि गर्भवती महिला चिकनपॉक्स से संक्रमित होती है, तो उसका बच्चा भी संक्रमित हो सकता है। इस स्थिति को कंजेनिटल वारिसेला सिंड्रोम कहा जाता है, जिसमें शिशु को विकासात्मक विकलांगता, जननांग में विकासशील समस्याएं और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
संक्रमण के लक्षण: गर्भावस्था में चिकनपॉक्स संक्रमित होने पर महिला को उच्च तापमान, खुजली, चकत्ते और खांसी के लक्षण हो सकते हैं। इसके साथ ही, इस संक्रमण के संभावित परिणाम में मातृ मौत, प्रीमेच्योर डिलीवरी, गर्भपात और पीड़ित शिशु के लिए संक्रमण की संभावना बढ़ जाती हैं.