खाना हमारे शारीरिक विकास के लिए भले ही बहुत आवश्यक हैं लेकिन यही भोजन जब हम सही तरीके से नहीं करते हैं तो हमारे लिए जहर के समान हो जाता हैं। जब भी हमारे खाने में कोई गड़बड़ होती है तो हमें फूड पॉइजनिंग सबसे पहले होती हैं। फूड पॉइजनिंग आमतौर पर दूषित खाने को खाने से होता हैं। ये बीमारी स्टैफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया, वायरस या अन्य जीवाणुओं के चलते होती है। ये बैक्टीरिया खाने के साथ बॉडी के अंदर चले जाते हैं और इसकी वजह से उल्टी, दस्त, जी मचलना जैसी समस्याएं होने लगती है। गर्मियों के सीजन में फूड पॉइजनिंग होना बहुत आम होता है, क्योंकि इस समय गर्मी कि वजह से बैक्टीरियाँ बहुत जल्दी बढ़ते है और खाने को खराब कर देते हैं। फूड पॉइजनिंग होने का खतरा तब भी बहुत अधिक होता हैं जब खाने को साफ सफाई से नहीं बनाया जाता हैं। अकसर हम जो बाजार में मिलने वाली चीज़े खाते है उन्हें बेचने वाले बनाते समय स्वच्छता का ध्यान नहीं रखते हैं जिसकी वजह से जब हम उसे खाते हैं तो हमें फूड पॉइजनिंग हो सकती हैं।
फूड पॉइजनिंग का इलाज कई बार घर पर ही घरेलू नुकशे के जरिए किया जा सकता है, आमतौर पर ये 3 से 5 दिन में ठीक हो जाता हैं। फूड पॉइजनिंग के दौरान सबसे जरूरी होता है बॉडी को हाइड्रैट रखना इसलिए ज्यादा से ज्यादा स्वच्छ पे पदार्थों का सेवन करना चाहिए। लेकिन जब हालत खराब हो और स्तिथि कंट्रोल से बाहर हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाए और सलाह लें।
फूड पॉइजनिंग के लक्षण
उबकाई या उलटी: जब आपको फूड पॉइजनिंग होती है, तो आपको बार बार उबकाई या उलटी जैसा महसूस होता है। कई बार दिन में एक से ज्यादा बार उल्टी भी हो जाती हैं।
पेट दर्द : पेट में दर्द भी फूड पॉइजनिंग का एक आम लक्षण हो सकता है। यह दर्द कम हो सकता है या फिर गंभीर भी हो सकता है।
दस्त : यह फूड पॉइजनिंग का एक प्रमुख लक्षण है। असामान्य मात्रा में मल त्याग की आवश्यकता हो सकती है और यह मल अधिकांश तरीके से लिक्विड और तेज हो सकता है।
बुखार : कुछ लोगों को फूड पॉइजनिंग के कारण बुखार भी हो सकता है। यह बुखार नॉर्मल से मीडीअम लेवल तक हो सकता हैं और लंबे समय तक रह सकता हैं।
मुंह का सूखापन : फूड पॉइजनिंग के दौरान कुछ लोगों के मुंह में सूखापन महसूस हो सकता है। यह आपको शरीर में पानी की कमी के कारण हो सकता है और ये कमी आपको उल्टी कि वजह से हो सकती हैं।
अस्वस्थता या कमजोरी : फूड पॉइजनिंग के कारण शरीर में कमजोरी और अस्वस्थता का अनुभव हो सकता है। यह कमजोरी शरीर की इम्यूनिटी सिस्टम के प्रभावित होने के कारण हो सकता है।
खून आना: फूड पॉइजनिंग कि समस्या जब काफी अधिक बढ़ जाती हैं तो माल और मूत्र में खून आने लगता हैं। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
फूड पॉइजनिंग के कारण
बैक्टीरिया – फूड पाइजनिंग की वजहों में बैक्टीरिया सबसे जरूरी कारकों में से एक हैं। इ. कोली, लिस्टेरिया, और साल्मोनेला आदि फूज पाइजनिंग फैलाने वाले सबसे मुख्य बैक्टीरिया हैं।
परजीवी – इससे फूड पाइजनिंग होना बैक्टीरिया की तरह समान बात नहीं है, पर भोजन के माध्यम से फैले परजीवी बहुत खतरनाक हो सकते हैं। पैरासाइट्स पाचन तंत्र में सालों तक रह सकते हैं, जिसे पहचाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा हैं। लेकिन अगर ये किसी कमजोर इम्यून रखने वाले व्यक्ति को या फिर किसी गर्भवती महिला को होता हैं, तो उसके खतरनाक दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
वायरस – फूड पाइजनिंग वायरस के कारण भी हो सकती है, फूड पाइजनिंग के लिए नोरोवायरस सबसे आम वायरस होता है। इसके अलावा सेपोवायरस, रोटावायरस और एस्ट्रोवायरस भी फूड पाइजनिंग का कारण बन सकते हैं, लेकिन ये सभी वायरस नोरोवायरस की तरह आम नहीं हैं। हेपेटाइटिस-ए भी एक गंभीर स्थिति है, जो भोजन के माध्यम से ही फैलती है।
अशुद्ध पानी: फूड पाइजनिंग के लिए पानी एक महत्वपूर्ण फैक्टर होता है जो खाद्य सामग्री की सुरक्षा पर प्रभाव डालता है। यदि आप प्रदूषित या अशुद्ध पानी का सेवन करते हैं, तो आपको फूड पॉइजनिंग बहुत आसानी से हो सकती है।
खराब खाद्य सामग्री: यदि आप खराब, दूषित या संक्रमित खाद्य सामग्री का सेवन करते हैं, तो आप फूड पॉइजनिंग का शिकार हो सकते हैं। खाद्य सामग्री में जीवाणु, विषाक्त पदार्थ, या तत्वों की अधिक मात्रा होने के कारण यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।
फूड पाइजनिंग का खतरा कब बढ़ जाता है?
वृद्धावस्था – जब कोई व्यक्ति बूढ़ा हो जाता हैं तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता उम्र के हिसाब से कमजोर पद जाती हैं। ऐसे में पहले के मुकाबले कोई भी बीमारी वृद्ध शरीर को बहुत जल्दी अपना घर बना लेती हैं। इतना ही नहीं इम्यून कमजोर होने कि वजह से वो जल्दी रिकवर भी नहीं कर पाते हैं।
गर्भवती महिलाएं – गर्भावस्था के दौरान चयापचय और रक्त परिसंचरण में कई बदलाव आते हैं, जिनसे फूड पाइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान इसकी स्थिती और गंभीर हो सकती है। कभी कभी कुछ दुर्लभ केसेस में तो गर्भ में साँसे ले रहा शिशु भी बीमार पड़ जाता है।
शिशु और छोटे बच्चें – जिस तरह से वृद्ध लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है उसी के विपरीत छोटे बच्चों में उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से विकसित ही नहीं हो पाती हैं।
पुरानी बीमारियों से ग्रसित लोग – डायबिटीज, लिवर संबंधी रोग और एड्स जैसी बीमारीयों से ग्रसित लोगों में भी फूड पाइजनिंग की समस्या हो सकती है। इसके अलावा जो लोग कैंसर के लिए कीमोथेरेपी या रेडिएशन लेते हैं, उनकी भी प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया क्षमता कम होती है। ऐसे में इन लोगों को फूड पाइजनिंग बहुत आसानी से घेर लेती है।
फूड पॉइजनिंग का इलाज
फूड पॉइजनिंग का इलाज निम्नलिखित चरणों को शामिल कर सकता है:
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना: फूड पॉइजनिंग के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है। आपको पर्याप्त आराम देना और पर्याप्त पानी पीना चाहिए ताकि आपकी शरीर को उचित आराम और हाइड्रेशन मिल सके।
अपवादी और उपचारी खाद्य सामग्री: आसानी से पचने वाले खाने का सेवन करना चाहिए। फल, सब्जियां, दलिया, सूप और खिचड़ी जैसे खाद्य पदार्थ आपके शरीर को पोषण प्रदान करेंगे और पाचन संक्रमण को शांत करने में मदद करेंगे।
हाइड्रेशन: फूड पॉइजनिंग से उबरने के लिए, पर्याप्त पानी पीना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह आपके शरीर को उचित तरीके से हाइड्रेट करेगा और जहरीले पदार्थों को आपके शरीर से बाहर निकालेगा।
दवाओं का सेवन: कुछ मामलों में, स्तिथि जब गंभीर हो जाती हैं तो डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक या अन्य दवाओं का प्रिस्क्राइब कर सकते हैं जो फूड पॉइजनिंग के संक्रमण को नष्ट कर सकते हैं। इसके लिए क्वालफाइड डॉक्टर की ही सलाह लें।
चिकित्सा देखभाल: यदि आपकी स्थिति गंभीर है या आपको लक्षण बढ़ रहे हैं, तो तुरंत चिकित्सा पेशेवर की सलाह लें। वे आपको सही इलाज प्रदान करेंगे और जरूरत के हिसाब से और आपकी स्थिति को मापने के लिए आवश्यक टेस्ट और जांच कर सकते हैं।
फूड पॉइजनिंग एक गंभीर स्थिति हो सकती है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप डॉक्टर की सलाह लें और उनके निर्देशों का पालन करें।
फूड पॉइजनिंग से बचाव के तरीके
फूड पॉइजनिंग अकसर स्वच्छता की कमी कि वजह से होने वाली बीमारी हैं इसलिए हम घर पर ही कुछ खान चीजों का ध्यान रखकर इससे बचाव कर सकते हैं।
खाने को स्वच्छता से बनाए: खाना बनाने और खाने से पहले अपने हाथों को अच्छे से साबुन से धो ले। खाना बनाने और खाने वाले बर्तन को अच्छे से साफ कर लें और भोजन बनाने वाली जगह को भी अच्छे से साफ कर लें।
फल और सब्जियों को धोकर प्रयोग में लाए: सीधा बाजार से लेकर आई हुए फल और सब्जियों को इस्तेमाल में न लाए। क्योंकि जब इन्हें सीधा इस्तेमाल किया जाता है तो इनपर लगे हुए किटाणु भी पेट में चले जाते हैं और हमें बीमार कर देते हैं।
तैयार भोजन को कच्चे भोजन से दूर रखें – खरीददारी करते समय कच्चे मांस, चिकन और मछली आदि को, अन्य खाद्य पदार्थों से दूर रखें, क्योंकि इससे क्रॉस कोन्टामिनेशन होता है।
भोजन को सुरक्षित तापमान में पकाएं – सामान्य तापमान पर पकाने से ज्यादातर खाद्य पदार्थों के हानिकारक जीव मर जाते हैं। भोजन को पकाने के लिए सुरक्षित तापमान का पता लगाने के लिए फूड थर्मोमीटर का प्रयोग किया जा सकता है।
जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को तुरंत फ्रीज में रखें – ऐसे खाद्य पदार्थों को खरीदने या बनाने के 2 घंटे से ज्यादा बाहर ना रखें। अगर बाहर का तापमान 32.2 C है, तो इन्हें 1 घंटे से ज्यादा समय तक बाहर ना रखें।