
डिहाइड्रेशन खासकर गर्मी के मौसम में होने वाली समस्या होती हैं। इसमें व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी हो जाती हैं। गर्मी के मौसम में शरीर से पसीना ज्यादा निकलता हैं ऐसे में अगर शरीर का तापमान संतुलित न रखा जाए और पसीने से निकले पानी कि पूर्ति के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन न किया जाए तो इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती हैं और इसी से डिहाइड्रेशन की समस्या होती हैं। शरीर में पानी कि कमी होने की वजह से बॉडी में बाकी मिलरल्स जैसे की नमक और शुगर लेवल भी कम हो जाता हैं। वैसे तो डिहाइड्रेशन को घरेलू उपायों से ठीक किया जा सकता हैं लेकिन कई केसेस में इस हीट स्ट्रोक से इंसान की मौत भी हो सकती है। डिहाइड्रेशन कि समस्या किसी भी उम्र के लोगों में देखने को मिल सकती है। किशोर अवस्था में रहने वाले बच्चों को अगर ये समस्या होती है तो उसे उल्टी और दस्त के रूप में देखा जा सकता हैं। खासकर छोटे बच्चों और बूढ़े लोगों में अगर डिहाइड्रेशन कि समस्या हो तो वो उनके लिए खरनाक साबित हो सकता हैं।
डिहाइड्रेशन के लक्षण
थकान: डिहाइड्रेशन होने पर व्यक्ति में थकान और ऊर्जा की कमी का अनुभव होता है। व्यायाम या सामान्य गतिविधियों के दौरान अधिक पसीना बहने के कारण शारीर की ऊर्जा खत्म हो जाती है।
त्वचा की सूखापन: यदि शरीर में पानी की कमी होती है, तो त्वचा सूखी और तनावपूर्ण हो जाती है। त्वचा कम मुलायम होती है और अधिक सूखने पर खुजली या चर्म रोग के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
मुंह सुखाना: डिहाइड्रेशन के कारण मुंह में तालु या जीभ पर पानी की कमी हो जाने से मुंह सुख जाता है। यह दांतों और मसूड़ों के लिए भी हानिकारक हो सकता है।
मलद्वार की सूखापन: पानी की कमी के कारण मलद्वार में सूखापन हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पेशाब की मात्रा कम हो जाती है जिसकी वजह से कठोरता या दर्द हो सकता है।
ठंड लगना: डिहाइड्रेशन होने पर शरीर की तापमान नियंत्रण में कमी होती है, जिसके कारण व्यक्ति को ठंड लगती है। यह ठंडक के साथ शीतलता का अनुभव करने का परिणाम हो सकता है।
मूत्र का रंग और गंध: डिहाइड्रेशन के कारण मूत्र की मात्रा कम हो जाती है और इसका रंग गहरा पीला हो जाता है। यह मूत्र का गंध भी बदल सकता है और इसमें अधिक कठोरता हो सकती है।
घबराहट महसूस करना: डिहाइड्रेशन की डिहाइड्रेशन के कारण शरीर में विटामिन, खनिज और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होती है, जो संप्रेषण न्यूरॉन विचार और शारीरिक क्रियाओं को प्रभावित कर सकती है। इससे इंसान को घबराहट का अनुभव हो सकता है।
बूंदाबांदी: डिहाइड्रेशन होने पर शरीर में पानी की कमी के कारण मुहांसों, नाक से और आंखों से बूंदाबांदी हो सकती है। यह बार-बार प्यास लगने का एक लक्षण हो सकता है।
सिरदर्द: डिहाइड्रेशन के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाने से सिरदर्द का अनुभव हो सकता है। यह सिर में अच्छाई के साथ उबकाई या चिढ़ान जैसी अनुचित प्रतिक्रिया भी प्रकट कर सकता है।
डिहाइड्रेशन के कारण
डिहाइड्रेशन कई कारणों से हो सकता है। यहां कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं:
पानी की अपर्याप्त सेवन: पानी की अपर्याप्त मात्रा का सेवन करना डिहाइड्रेशन का मुख्य कारण हो सकता है। यदि आप पर्याप्त नहीं पानी पीते हैं, तो आपको डिहाइड्रेशन सबसे पहले अपनी चपेट में ले लेता है।
अधिक पसीना बहना: गर्मी के मौसम में, भारी शारीरिक श्रम, व्यायाम या शारीरिक गतिविधियों में अधिक पसीना बहने के कारण शरीर में पानी की कमी हो सकती है। पसीना बहाने के साथ-साथ इंसान कई बार उस पानी की कमी की पूर्ति करने में असमर्थ होता है, वो काम में इतना कीयस्ट हो जाता है कि नियमित रूप से पानी का सेवन नहीं करता है तो इससे डिहाइड्रेशन हो सकता हैं। \
उच्च तापमान: उच्च तापमान वाले मौसम में, जब तापमान अत्यधिक होता है, तो बिना कुछ शारीरिक मेहनत किये बिना भी शरीर पसीना बहाकर ठंडा होने की कोशिश करता है। इससे अधिक पानी की कमी जाती है और डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ जाता है।
बुखार और उल्टी: बुखार या उल्टी के कारण शरीर में पानी कि कमी होना बहुत आम हैं इसलिए इस समय भी डिहाइड्रेशन का लेवल बढ़ जाता है। इसके अलावा जब आप उल्टी या दस्त से पीलिया, जीवाणुजनित संक्रमण या अन्य अंतर्निहित रोगों से पीड़ित होते हैं, तो शरीर में उच्च मात्रा में पानी की कमी हो सकती है।
विषाक्त पदार्थों का सेवन: अधिक मात्रा में कॉफीनेटेड या अल्कोहली विषाक्त पदार्थों का सेवन करने से डिहाइड्रेशन हो सकता है। ये पदार्थ पानी के निष्कासन को बढ़ा सकते हैं और शरीर में निर्माण होने वाले वासोप्रेसिन को प्रभावित कर सकते हैं, जो पानी के रेटेंशन को नियंत्रित करता है।
प्रकारकों का अत्यधिक उपयोग: डायुरेटिक प्रकारकों (जैसे कि दियूरेटिक दवाएं) का अत्यधिक उपयोग करने से पानी की अधिकता हो सकती है और डिहाइड्रेशन हो सकता है। ये प्रकारक पानी के निष्कासन को बढ़ाते हैं, जिससे पानी की कमी होती है।
डिहाइड्रेशन से बचने के घरेलू उपाय
लिक्विड का सेवन करें
गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी बिल्कुल न होने दें। हमारा शरीर 70% पानी से बना होता है ऐसे में अगर शरीर में पानी का लेवल कम होता है तो हम कमजोर पड़ जाते हैं। इसलिए दिनभर में जितना हो सके पानी पिए। दिनभर में 2 से 3 लीटर पानी का स्वयं करें। ऐसा न हो की प्यास लगे तभी पानी पिए प्यास न लगने पर भी पानी कि कमी को रोकने के लिए पानी पीते रहें। पानी के साथ साथ बाकी पेय पदार्थों का भी सेवन करें। साथ ही ताजे फलों से तैयार जूस, नारियल पानी, बेल का शरबत, नींबू पानी पीना भी गर्मी में आपको कई रोगों से बचाए रखने के लिए हेल्दी ड्रिंक्स हैं।
दही का सेवन करें
यदि आपको उल्टी और दस्त की शिकायत है, तो दही खाना फायदेमंद हो सकता है। दही आसानी से पचता है। इसमें आप काला नमक, भुना हुआ जीरा डालकर खाएंगे, तो स्वाद भी बढ़ जाएगा।
मौसमी फल और सब्जियां खाएं
इन दिनों मिलने वाले फल जैसे तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी, अंगूर, संतरा, पपीता खाएं। सब्जी में तोरी, टमाटर आदि का सेवन लाभकारी होगा। खाने के साथ ताजी सब्जियों का सलाद खाएं। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती है।
केला
केला में पोटैशियम अधिक होता है। डिहाइड्रेशन होने पर शरीर में पोटैशियम की मात्रा कम हो जाती है। ऐसे में प्रतिदिन दो केला खाएं।
पिएं नारियल पानी
डिहाइड्रेशन होने पर नारियल पानी जरूर पिएं। एक गिलास नारियल पानी पीने से शरीर में पानी की कमी दूर होती है। इसमें कैलोरी की मात्रा भी कम होती है, जिससे वजन बढ़ने का भी डर नहीं होता।
छाछ पियें
दही के साथ साथ दही से बने हुए छाछ का भी सेवन करें। रोज घर से बाहर निकलने से पहले एक गिलास छाछ पी लें। शरीर से पसीना निकलेगा भी तो आपको डिहाइड्रेशन की शिकायत नहीं होगी। आप घर पर छाछ बनाने के लिए दही को मिक्सी में डालें। उसमें पानी, काला नमक, भुना हुआ जीरा और सादा नमक डालकर मिक्सी में ब्लेंड कर लें। इसमें आप पुदीने की पत्तियां भी फ्लेवर लाने के लिए डाल सकते हैं।
पिएं नींबू पानी
नींबू पानी एक हेल्दी ड्रिंक है। इससे वजन भी कम होता है। शरीर में विटामिन सी की कमी नहीं होती है। शरीर हाइड्रेट रहता है। नींबू पानी में आप शहद मिलाकर पिएंगे, तो अधिक लाभ होगा।